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विज्ञान और ज्ञान में क्या अंतर

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                विज्ञान और ज्ञान  सृष्टि के प्रारंभ से ही मानव सभ्यता अन्य सभी प्रजाति जीवो से श्रेष्ठ और भिन्न है क्योंकि समय-समय पर मानव ने अपनी बुद्धिमता और विवेक के माध्यम से नए नए आविष्कार कर बौद्धिक वर्चस्व और मानव सत्ता स्थापित की । जैसे जैसे मानव सभ्यता विकास करने लगी वैसे वैसे ही भौतिक अनुसंधानों की गति बढ़ने लगी और इन आविष्कारों से मानव प्राणी सृष्टि का बौद्धिक योद्धा साबित हुए और इन्ही योद्धा द्वारा विचार , विवेक और अपनी सूझ-बूझ से समय समय पर विज्ञान की परिभाषा को समझते हुए आविष्कारों से जीवन जीने के नई तौर तरीके बदल दिए गए । जैसे मानव शिक्षित होते गए वैसे नए-नए आविष्कार होते है कई तकनीकि मशीनों जैसे कम्प्यूटर का आविष्कार कर दिया , चांद ,मंगल ग्रह आदि ओर मानव सभ्यता की स्थापना करने की चाह बढ़ गई लेकिन मानव द्वारा किये इन आविष्कार से वह स्वयं इसी में उलझते गए और विज्ञान और ज्ञान में अंतर भूल कर स्वयं ही श्रेष्ठ मान बैठे । जिसका परिणाम यह हुआ कि मानव ने अपनी बुद्धिमता को केवल अपने शारीरिक सुख के रूझान की ओर मोड़...

चीन क्यों है नास्तिक

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नास्तिक चीन ! चीन आधिकारिक तौर पर एक नास्तिक देश हैं। चीन का संविधान वैसे तो किसी भी धर्म का पालन करने की आजादी देता    है लेकिन इसके बावजूद चीन में कई पाबंदीया हैं।  राज्य केवल 5 धर्मो को मान्यता देता हैं जिसमे बौद्घ, कैथोलिजम, डाओजिम,   इस्लाम,प्रोस्टैटिजियम शामिल हैं इसके अलावा किसी अन्य धर्म कृयाकलापो पर लगभग रोक हैं। चीन में स्थित बौद्ध धर्म का प्रवेश भारत देश से  ही हुआ था  ईसा पूर्व 6 वीं शताब्दी में महात्मा   बुद्ध दवारा बौद्ध धर्म की स्थापना की गई भारत में अगली 5 शताब्दीयो में बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हज़ार वर्षो में मध्य पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी, फैल गया और धीरे -धीरे बौद्ध धर्म अपना विस्तार बढाता चला गया।             इसके पश्चात बौद्ध धर्म जब अपनी चरम सीमा पर था तब आदि शंकराचार्य जो भारत के एक महान दार्शनिक एवं धर्मपृवतृक थे इन्होंने अद्वैत वेदांत  को ठोस आधार प्रदान किया। इन्होंने सनातन धर्म की विविध विचारधाराओ का एकीकरण किया उपनिषदो और वेदो को आधार...

प्राकृतिक आपदाएं

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                            प्राकृतिक आपदाएं ऐसी कोई भी प्राकृतिक घटना जिससे मनुष्य के जीवन को हानि हो प्राकृतिक आपदा कहते हैं।सदियों से प्राकृतिक आपदाये मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।जंगलो में आग,बाढ़, भूकम्प,सुनामी,बदल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाये बार बार मनुष्य को चेतावनी देती है।वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहें हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों,मैदानों,पहाड़ो,खनिज पदर्थों का दोहन कर रहा है।उसी के कारण प्राकृतिक आपदाये दिन ब दिन बढ़ने लगी है। हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए।ऐसी आपदाओं के कारण जान-माल की हानि होती है। प्राकृतिक आपदाओं के कई प्रकार हैं- 1.जंगलो में आग 2.आंधी 3.बिजली गिरना 4.महामारी 5.चक्रवाती तूफान इस तरह की आपदाये कुछ समय के लिए आती है बड़ी मात्रा में नुकसान करती है।मकानों,शहरों को नष्ट कर देती है।हर कोई इनके सामने बोना साबित होता है। प्रकृति के नियमो का पालन न होकर उनका सामूह...

पर्यावरण पर एक नजर

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जाने पर्यावरण को -  वो सभी प्राकृतिक चीजें जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती है पर्यावरण के अंतरगर्त आती है जैसे की जल, वायु, सूर्य के प्रकाश, भूमि, अग्नि, वन, पशु, पौंधें, इत्यादि| ऐसा माना जाता है की केवल पृथ्वी ही पुरे ब्रह्माण्ड में एक मात्र ऐसा गृह है जहा जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक पर्यावरण है| पर्यावरण के बिना यहाँ हम जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते इसीलिए हमें भविष्य में जीवन की संभावना सुनिश्चित करने के लिए अपने पर्यावरण को स्वस्थ्य और सुरछित रखना चाहिए| यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है| हर किसी को आगे आना चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा के अभियान में शामिल होना चाहिए।            प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए पर्यावरण और जीवित चीजो के बीच नियमित रूप से विभिन्न चक्र घटित होते रहते है। हालांकि, अगर किसी भी कारण से ये चक्र बिगड़ जाते हैं तो प्रकृति का भी संतुलन बिगड़ जाता है जो की अंततः मानव जीवन को प्रभावित करता है। हमारा पर्यावरण हजारो वर्षो से हमें और अन्य प्रकार के जीवो को धरती पर बढ़ने, विकसित होने और पनप...

नास्तिकता नर्क का द्वार

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नास्तिकता नर्क का द्वार -  आज मानव 21वीं सदी में जी रहा है  जिसमें अपनी सभ्यता को त्याग कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को पूर्ण रूप से अपनाने के लिए अगर्सर दिखाई देता है जिससे नास्तिकता बढ़ती जा रही है नास्तिकता की तरफ बढ़ने के मुख्य दो कारण हैं  1. विश्व भर के सभी देशों में गलत भक्ति विधि और शास्त्रों से विरोध भक्ति साधना 2. विज्ञान की ओर आंखें बंद कर अग्रसर होना। इन दोनों कारणों में से सबसे महत्वपूर्ण और चिंताजनक कारण शास्त्रों के विपरीत अंधश्रद्धा के तहत भक्ति करना मुख्य है।  चलिए हम अब बात करते हैं भारत की- 👇👇 भारत मे जनगणना 2011 के अनुसार 99.76% लोग आस्तिक हैं और 0.24%  लोगों ने अपनी धार्मिक पहचान नहीं दी है। भारत में इतनी बड़ी संख्या में भगवान में आस्था रखने वाले लोग मौजूद हैं लेकिन फिर भी अब वर्तमान में बहुत बड़ी संख्या में लोग नास्तिकता की तरफ बढ़ रहे हैं इसका मुख्य कारण अंध श्रद्धा भक्ति है जिसकी वजह है नकली धर्मगुरुओं , आचार्यों के द्वारा बताई गई शास्त्र विरुद्ध साधना है। सभी धार्मिक नेता, संत और पुजारी भगवान के बारे में क...

मांस खाना महापाप है।

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अल्लाह ने हम मनुष्य के खाने के लिए फलदार व्रक्ष तथा बिजदार पौधे दिए हैं, मांस खाने का आदेश नही दिया।जीव हिंसा करने से पाप लगता है ऐसा महापाप नही करना चाहिए। परमात्मा कबीर जी कहते हैं:-जो जीव हत्या करता है, मांस खाते है, वह अपराधी आत्मा म्रत्यु उपरांत नरक में जाएंगे। आज का मानव समाज मांस खाकर महापाप का भागी बन रहा है।कभी सोचा है कि अगर मांस खाने से परमात्मा प्राप्त्ति होती,तो सबसे पहले मांसाहारी जानवरो को होती,जो केेेेवल मांस ही खाते हैं। यदि इंसान को इस बात का ज्ञान हो जाए कि मांस खाने से उसे क्या क्या हानि होती है तो वह मनुष्य अपने जीवन मे कभी मांस के हाथ नही लगाएगा  परमात्मा के वास्तविक विधान को जानकर जीव सभी दुखो से बच जाता है।और अपने जीवन को सुखी बना कर जीवन व्यतीत करता है। ●संत रामपाल जी महाराज के पास वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान है जिससे परमेश्वर कबीर साहेब के विधान अनुसार दुराचारी व्यक्ति सभी पापो व अपराधों को छोड़कर एक सज्जन इंसान बन जाता है। ●संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन सुनिए साधना टीवी शाम 7.30-8.30 www.supremegod.org

जीवन का उद्देश्य

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एक दिशा जीवन की मनुष्य को जिंदगी में यह चीज समझना आवश्यक है कि मनुष्य जन्म का उद्देश्य क्या है आखिर क्यों हमें मनुष्य जीवन मिला है जिसे सबसे उत्तम जीवन भी कहा है आखिर क्यों मनुष्य जन्म लेने के लिए स्वर्ग में देवी देवता भी तरसते हैंं इसके पीछे क्या कारण है । यह तो स्पष्ट है कि मनुष्य जीवन बहुत ही दुर्लभ है। जीवन का उद्देश्य - मनुष्य जन्म का उद्देश्य भारतीय परंपरागत मान्यताओं और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार यह है कि मनुष्य को जीवन पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए दिया जाता है जिसमें उसे सांसों के द्वारा जीवन प्राप्त होता है इस जीवन के दौरान पूर्ण सतगुरु तत्वदर्शी संत से पूर्ण परमेश्वर की भक्ति को अपनाकर आजीवन मर्यादित रहकर भक्ति करने से वापस कभी भी जन्म और मृत्यु में नहीं आना होता। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का मार्गदर्शन - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के द्वारा लिखित पुस्तक जीने की राह उन्होंने आध्यात्मिक परमेश्वर के संविधान के अनुसार जीवन को सुखी एवं सार्थक बनाने के लिए पूर्ण सफल मार्गदर्शन दिया है जिसके अनुसार चलने के बाद मनुष्य को नशा शराब तंबाकू आदि से...