विज्ञान और ज्ञान में क्या अंतर
विज्ञान और ज्ञान
सृष्टि के प्रारंभ से ही मानव सभ्यता अन्य सभी प्रजाति जीवो से श्रेष्ठ और भिन्न है क्योंकि समय-समय पर मानव ने अपनी बुद्धिमता और विवेक के माध्यम से नए नए आविष्कार कर बौद्धिक वर्चस्व और मानव सत्ता स्थापित की ।
जैसे जैसे मानव सभ्यता विकास करने लगी वैसे वैसे ही भौतिक अनुसंधानों की गति बढ़ने लगी और इन आविष्कारों से मानव प्राणी सृष्टि का बौद्धिक योद्धा साबित हुए और इन्ही योद्धा द्वारा विचार , विवेक और अपनी सूझ-बूझ से समय समय पर विज्ञान की परिभाषा को समझते हुए आविष्कारों से जीवन जीने के नई तौर तरीके बदल दिए गए ।
जैसे मानव शिक्षित होते गए वैसे नए-नए आविष्कार होते है
कई तकनीकि मशीनों जैसे कम्प्यूटर का आविष्कार कर दिया , चांद ,मंगल ग्रह आदि ओर मानव सभ्यता की स्थापना करने की चाह बढ़ गई लेकिन मानव द्वारा किये इन आविष्कार से वह स्वयं इसी में उलझते गए और विज्ञान और ज्ञान में अंतर भूल कर स्वयं ही श्रेष्ठ मान बैठे ।
जिसका परिणाम यह हुआ कि मानव ने अपनी बुद्धिमता को केवल अपने शारीरिक सुख के रूझान की ओर मोड़ लिया और विज्ञान के द्वारा प्राप्त किये इस दौर में मानव मेहनती रवैया भूल कर मशीनों पर आश्रित होकर मानव विलासिता पूर्ण जिंदगी जीने लगे तथा आत्मा की सुख को वह भूल बैठे जिससे आज वर्तमान में मानव के मन मस्तिष्क में एक मात्र उद्धेश्य रह गया विज्ञान जिससे केवल सुख की कोरी कल्पना की जा सकती लेकिन सुख प्राप्त नही किया जा सकता ।
आज मानव वर्ग भूल चुका है कि विज्ञान से केवल कुछ समय के एक स्वपन मात्र सुख का अनुभव कर सकते है लेकीन ज्ञान से सुख अनुभव ही अपितु उसे प्राप्त कर सकते है ।
क्योकि ज्ञान अनमोल है जो मानव जीवन ही नहीं बल्कि 84 लाख योनियों के दुःखो का भी अंत कर सकता है ।
तभी तो कहा है
दुःख में सुमरिन सब करे , सुख में करे न कोई ।
जो सुख में सुमरिन करे , तो दुःख काहे को होय ।।
आध्यात्मिक ज्ञान आधार से ही मानव जीव का कल्याण हो सकता है ज्ञान सत्संग सुनने से प्राप्त होता है जिससे मानव जीवन का मूल उद्धेश्य क्या है इसका वास्तव में पता चलता है ।
ज्ञान आधार से ही वास्तविक सुख का अनुभव होता है । शारिरिक सुख ही नही बल्कि आत्मा को भी सुख का आनंद प्राप्त होता है ।
इसलिए कहा जाता है कि विज्ञान से श्रेष्ठ है आध्यात्मिक ज्ञान जिसे मानव जीव ही भली भांति समझ सकता है ।
👌
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